Detailed Notes on Shodashi
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क्षीरोदन्वत्सुकन्या करिवरविनुता नित्यपुष्टाक्ष गेहा ।
वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—
Goddess is commonly depicted as sitting down around the petals of lotus which is kept over the horizontal system of Lord Shiva.
Darshans and Jagratas are pivotal in fostering a sense of Local community and spiritual solidarity among devotees. During these activities, the collective Strength and devotion are palpable, as members interact in a variety of kinds of worship and celebration.
साशङ्कं साश्रुपातं सविनयकरुणं याचिता कामपत्न्या ।
ह्रींमन्त्राराध्यदेवीं श्रुतिशतशिखरैर्मृग्यमाणां मृगाक्षीम् ।
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।
कामाकर्षिणी कादिभिः स्वर-दले click here गुप्ताभिधाभिः सदा ।
लक्ष्या या चक्रराजे नवपुरलसिते योगिनीवृन्दगुप्ते
लक्ष्मी-वाग-गजादिभिः कर-लसत्-पाशासि-घण्टादिभिः
Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra sharpens the mind, enhances concentration, and increases psychological clarity. This benefit is efficacious for college students, gurus, and those pursuing mental or Innovative goals, since it fosters a disciplined and centered method of duties.
Celebrations like Lalita Jayanti emphasize her significance, where by rituals and choices are made in her honor. The goddess's grace is considered to cleanse past sins and direct one towards the last word objective of Moksha.
Comprehending the significance of these classifications aids devotees to select the appropriate mantras for their individual spiritual journey, making sure that their methods are in harmony with their aspirations and the divine will.